Tuesday, August 17, 2021

धर्म और राजधर्म

 "आज वोट की राजनीती के कारण हिंदू समाज को टुकडे में बांटने की कोशिश हो रही है. हम समता के पक्षधर है. जन्म और जाति के आधार पर कोई छोटा या बडा नही होना चाहिये. ईमानदारी से रोटी कमाना अच्छा है. प्रामाणिक तरीके से धन एकत्र करना अच्छा है. लेकिन ईमानदारी से रोटी कमाने का भाव तभी पैदा हो सकता है, जब ह्रदय मे विश्वास हो, कि मेरे स्वार्थ के अलावा भी कोई एक सत्ता है. मुझे उसमे विलीन होना है. यह शरीर तो नही रहेगा. सनातन की खोज का नाम धर्म है. अब वक्ता के नाते मेरा भी धर्म है की, मै अच्छी अच्छी बाते कहूँ और श्रोता के नाते आपका भी धर्म है कि आप मुझे शांति के साथ सुनें. लेकिन जिस देश मे लोकसभा मे सत्ता पक्ष के सदस्य अपने प्रधानमंत्री को सुनने से इन्कार कर दे, उसमे धर्म की कितनी रक्षा होगी यह कहना मुश्किल है."

-अटलबिहारी वाजपेयी, (संत रोहिदास चरित्र आणि वाड्मय ग्रंथ प्रकाशन समारंभप्रसंगीच्या भाषणातून, मुंबई)

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